Thursday, October 21, 2010

मुंबई कर प्रति माह भिखारिओ को देते है १५ करोड़ रुपये ..........

मुंबई कर प्रति माह भिखारिओ को देते है १५ करोड़ रुपये ....................पवन ओझा मुंबई
शहर में १० हजार भिखारी है लेकिन इनके खिलाफ पुलिस कोई करवाई नहीं कर पति है .दीवाली ,गणेश उत्सव ,की दिनों में भिखारिओ से लोगो की परेशानी बढ़ जाती है .कारण की हर एक नाके ,रस्ते, शापिंग मालो के पास भिखारी बढ़ जाते है .एक पुलिस अधिकारी की माने तो अगर किसी भिखारी को एक रूपया मिलता है तो उसमे का एक हिस्सा उसका बास लेता है .इस तरह एक अनुमान के अनुसार भिखारिओ के प्रति माह मुंबई कर १५ करोड़ रुपये चुकाते है .शहर १० हजार भिखारी है और ए रोजाना ५०० रुपये कमाते है .एक पुलिस अधिकारी के अनुसार २००९ में बने भिखारी यो के लिए बने दस्ते को निष्क्रिय कर दिया गया था .और इसी कारण के चलते भिखारिओ की संख्या में वृधि हो रही है .भिखारिओ के खिलाफ इस दस्ते में १० पुलिस अधिकारी और कर्मचारी थे .भिखारिओ को पकड़ कर कुर्ला न्यायालय में लेजाया जाता था और वहा से उन्हें पुनवर्सन केंद्र में भेज दिया जाता था .कहा तो यह भी जाता है की मलवानी में आफताब ,सलीम और अहमद नामक ऐसे लोग है जो जो भिखारिओ को भीख मांगने का तरीका शिखते है .और कई भिखारी इन्हें अपना गुरु समझकर तरीका सीखते है .इसी तरह धारावी के एक स्कुल में भीख मांगने की शिक्षा दी जाती है .इन भिखारिओ को गर्मी और बरसात के दिनों में धीरज रखकर रस्ते पर खड़ा रहने की सिख दी जाती है .जरुरत पढने पर रस्ते पर सोने की इनकी सबसे बड़ी योजना होती है .भिखारिओ की अवाक् का २५ % आमदनी उन्हें मिलती है जबकि ७५ % उनके बास को मिलती है .तेव्हारो में इनकी आमदनी बढ़ जाती है और भिखारी पैसा चुरा ना ले इसलिए इनके बास इनके अंडर वेयर तक तलाशते है .जबकि पाकेट मरने में पकडे जाते है तो इन्हें चेहरे पर ब्लेड मारकर घायल करने के लिए कहा जाता है ताकि पुलिस इन्हें ना पकडे .

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